पितृहत्या-Death of father a new short inspirational Story in hindi language
Death of father a new short inspirational Story in hindi language
उसने अपराध किया था वकील ने उसे पागल ठहराया था। एक सुबह चटौन के निकट नरकंटों में एक दूसरे की बाहों में लिपटे दो मृत शरीर पाए गए थे। पति -पत्नी की। उनका कोई शत्रु नहीं था। और ना ही उनको लूटा गया था। लोहे की छड़ों से बुरी तरह पीटा गया था और पीटने के बाद नदी किनारे फेंका गया था। जूरी की छानबीन से कुछ भी पता नहीं चला। नाविकों को भी कुछ भी पता नहीं था। मामले को बंद किया ही जा रहा था कि बधाई लुई उर्फ़ जेंटलमैन ने बताया कि वह उन्हें जानता था। वे पुराने फर्नीचर की मरम्मत के लिए उनके पास आया करते थे। क्या उसने ही इन्हे मारा था ,वकील ने तो उसे पागल ठहराया था। उसे तो उन लोगों ने दो बर्षों में इतना काम दिया था। फिर वह दो भले व्यक्तियों की ह्त्या क्यों कर सकता था ? बिडम्बना देखिये ,वह चिल्लाया -जिसका ना माँ ना बाप इससे प्रबल उत्तेजना के योग्य नहीं था क्या ? क्या वह कुलीन लोगों के खून का प्यासा था ?या विकृत मानसिकता से ग्रसित था ? यह आदमी नहीं बल्कि कम्यून है जिसे दण्डित करना चाहिए। न्यायाधीश ने अभियुक्त से प्रश्न किया -क्या तुम सफाई में कुछ कहना चाहोगे ? उसने कहा -महोदय ,मैं चूँकि पागलखाने जाना नहीं चाहता इसलिए फांसी को प्रार्थ मिकता देता हूँ। उस पुरुष और औरत की इसलिए ह्त्या कि वे मेरे माता -पिता थे। अब मेरी बात सुनिए और न्याय कीजिये। एक औरत ने बेटे को जन्म देकर उसे नर्स के पास भेज दिया। निपराध नन्हे बच्चे को लम्बे दुःख के लिए उसके विलाप और भूख से बिलबिलाने के लिए .उसे सड़ने के लिए त्याग दिया गया था। या नर्स को मासिक खर्चा नहीं दिया गया था। मैं इस विचार के साथ बड़ा हुआ कि मैं किसी अपमान के लिए पैदा हुआ हूँ। जिसने मुझे दूध पिलाया वही मेरी महान आत्मा मेरी माँ थी। एक दिन दूसरे बच्चों ने मुझे दोगली संतान कहा। तब मुझे इस शब्द का अर्थ पता नहीं था। मुझे एक सच्चा व्यक्ति होना चाहिए था ,यदि मेरे माता -पिता ने मुझे छोड़ने का अपराध ना किया होता। मैं पीड़ित व्यक्ति था और वे पापी। मैं रक्षा विहीन और वे दयाविहीन उन्हें मुझे प्यार करना चाहिए था पर उन्होंने मुझे बहिस्कृत कर दिया। मुंह पर तमाचा खाया व्यक्ति ,एक संतप्त व्यक्ति ह्त्या करता है। मैंने स्वयं बदला लिया है मैंने ह्त्या की है मैंने उस भयानक जीवन को जो उन्होंने थोपा था के बदले में मैंने उनका सुखी जीवन ले लिया। आप इसे पितृहत्या कहेंगे। उन्होंने बच्चा पैदा किया जिसकी इच्छा उन्हें नहीं थी। उन्होंने इस बच्चे का शमन कर दिया।
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दो बर्षों में में वह आता काम देता और कुछ पैसे देता। पहली बार वह अपनी पत्नी यानी मेरी माँ को साथ लाया वह जब अंदर आई तब वह जोर से काँप रही थी। वह पागलों की तरह मुझे घूर रही थी। वह मेरे बचपन के बारे बात करने लगी। मैंने कहा -मैडम ,मेरे माता -पिता दुरात्मा थे जिन्होंने मुझे त्याग दिया। वह आती -जाती रही। एक दिन उसने एक लिफाफा मुझे थमा दिया। मैंने पूछा -क्या तुम मेरी माँ हो ? उसने अपनी हाथों से मुंह को ढांप लिया पिता ने कहा -तुम पागल हो। मुझे लगा कि मैं अनाथ हो गया हूँ ,मुझे गंदे नाले में फेंक दिया गया है। मेरी माँ रो रही थी पिता ने कहा -तुम्ही मिलने की जिद करती थी। हम उसे चुपके -चुपके भी तो आर्थिक मदद कर सकते थे। मैंने उन्हें दुबारा ही सही स्वीकार करने को कहा। उसने यानी पिता ने मुझे चोट पहुंचे फिर औरत शोर मचाने लगी। मैंने दोनों को मार डाला बस इतना ही अब मेरा न्याय कीजिये। अभियुक्त बैठ गया। अभियोग को अगले सत्र तक मुल्तवी कर दिया गया। यह जल्दी ही दोबारा सामने आएगा ,यदि आप और मै जूरी होते तो इस पितृ हत्या के मामले में क्या करते ?
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