hindi fiction story- परिस्तान की राजकुमारी
देसिकहानियाँ में हम एक से बढ़कर एक प्रेम कहानियां प्रकाशित करते हैं।पेश है इसी कड़ी में “परिस्तान की राजकुमारी ” hindi fiction story। आशा है,ये आपको पसंद आएगी।
विजय एक चित्रकार था और सुन्दर चित्र बनाकर गुजारा करता था।एक बार वो काम की तलाश में एक आर्ट सेण्टर जाता है जहाँ पहले से ही महान चित्रकारो की खूबसूरत पेंटिंग मौजूद थी।उसे ये प्रेरणा मिलती है कि वो भी एक दिन महान चित्रकार बनेगा। मिस्टर सतीश उस आर्ट गैलरी के मैनेजर थे। वो उससे पूछते है की क्या तुम चित्रकार हो ।विजय कहता है-जी हाँ और फिर वो मैनेजर सतीश को घंटे में एक परी की तस्वीर बनाकर देता है,जो सतीश को पसंद आ जाती है। एक दिन विजय सोया हुआ था, तभी उसे लगा कोई उसे बुला रहा हो। उसने सपना समझकर आवाज़ को इग्नोर किया। अगली सुबह वो आर्ट सेंटर पहुँचा जहाँ उसने पेंटिंग बनानी शुरू की।वो पेंटिंग बना ही रहा था की उसे लगा कि कोई फिर से उसे आवाज़ दे रहा हो। इसी तरह कई दिन बीत गए पर वो आवाज़ बंद नहीं हो रही थी।विजय परेशान होकर डॉ रमेश के घर जाता है जो पैरानॉर्मल साइंस के एक्सपर्ट थे। विजय उनसे कहता है की सर पता नहीं कुछ दिनों से एक अनजान आवाज़ मुझे परेशान कर रही है और मैं ठीक तरह से इस कारण काम नहीं कर पर रहा,आप कुछ हल बताये? डॉ रमेश कहते है विज्ञान इन चीज़ों को नहीं मानता पर पारलौकिक विज्ञान में ऐसे कई तरीके है, जिससे रहस्यमयी ताकतों का पता लगाया जा सकता है। विजय कहता है-कुछ भी करो सर पर मुझे इस आवाज़ से बचाओ।फिर विजय को एक चेयर पर बैठाया जाता है और फिर एक गोल घेरा बनाकर आग लगायी जाती है। रमेश के कुछ मंत्र बोलने के बाद उस आग की ज्वाला नीली रोशनी से बदल जाती है। फिर उसी नीली रोशनी से एक खूबसूरत लड़की निकलती है। विजय उसे देखकर हैरान हो जाता है की ये तो वही लड़की है जिसकी पेंटिंग मैंने बनाई थी।वो लड़की नीली आँखों वाली और लाल बालो के साथ बेहद खूबसूरत लग रही थी। डॉ रमेश बोलते है- तुम कौन हो और क्या चाहती हो? उस नीली परी ने कहा- मैं नीलपरी हूँ और इस चित्रकार ने मेरा ही रूप चित्रित किया है और मैं इस पर मोहित हो गयी हूँ। विजय कहता है की हम दोनों का मिलन नहीं सकता क्यूंकि हम अलग अलग दुनिया के है। नीलपरी कहती है- तेरी ये हिम्मत,मैं परिस्तान की राजकुमारी हूँ। ये कहते ही उसके हाथो से नीली किरण निकलती है जो विजय को दूर गिरा देती है। डॉ रमेश ये देखकर कुछ मन्त्र बोलते है तभी वो परी रमेश के हाथ पाँव अपनी शक्ति से बांध देती है।आज इंसानी वजूद नयी पारलौकिक ताकत के आगे बेबस था। वो कहती है की तुम्हे दो दिन का समय देती हूँ, अगर मेरे नहीं हुए तो तुम दोनों को मार दूंगी, फिर लंबी भयंकर हँसी के साथ गायब हो जाती है। डॉ रमेश फिर बोलते है-आज ही तुम्हे वो पेंटिंग जलानी होगी।विजय कहता है-इस पेंटिंग का उस परी से क्या लेना देना ?रमेश कहते है-उस दिन पूर्णिमा थी और उस दिन बनाये हुए चित्र पर मानवीय कल्पना मज़बूत हो तो वो साकार हो जाती है,इसलिए वो एक काल्पनिक आकृति है।फिर वो रात को उसी आर्ट सेण्टर जाते है, जहाँ वो पेंटिंग थी।जैसे ही वो उसे जलाने की कोशिश करते है, वो परी डरावनी हँसी के साथ प्रकट होती है और कहती है-तुम्हारी ये हिम्मत,फिर उसकी आँखों से लाल किरण निकलती है, जो उनकी तरफ बढ़ती है ।विजय और रमेश एक तरफ कूद जाते है जिससे वो किरण उसकी तस्वीर से ही टकरा जाती है और वो तस्वीर जलने लगती है। देखते ही देखते परी का वजूद ख़तम हो जाता है पर आज भी उस परी की आहट विजय और रवि को सुनाई देती है।
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