moral short stories in hindi language- मेहनत का फल
moral short stories in hindi language
देसिकहानियाँ में हम हर दिन एक से बढ़कर एक कहानी प्रकाशित करते हैं। इसी कड़ी में हम आज moral short stories in hindi language प्रकाशित कर रहे हैं। आशा है ये आपको अच्छी लगेगी।
लेखक – अशफाक
राजा अपनी कक्षा में सबसे आगे बैठा था, लेकिन रिजल्ट में सबसे पीछे आता था. ऐसा नहीं है कि वो मेहनत नहीं करता था. वो करीब छह घंटे स्कूल में पढ़ता और पांच घंटे घर आ कर पढ़ता. वो अपने रिजल्ट को लेकर अक्सर परेशान रहता. वो हमेशा यही सोंचता की मैं सबसे ज्यादा घंटे पढ़ता हूँ, लेकिन मैं अच्छे नंबर क्यों नहीं ला पाता. उसे स्कूल में भी सब यही बोलते की देखो कितना पढ़ता है, लेकिन अच्छे नंबर नहीं ला पता, राजा को ये बातें अच्छी नहीं लगती थी. अब तो उसे मास्टर भी यही बोलने लगे थे,
एक दिन राजा ने पढाई छोड़ने का फैसला किया और स्कूल जाना बंद कर दिया. उसे लगा की पढाई उसके लिए नहीं है. सब केवल परीक्षा के समय ही पढाई करते हैं और अच्छे नंबर ले आते हैं, लेकिन मैं पुरे साल पढ़ता फिर भी अच्छे नंबर नहीं लापता. पढाई छोड़ने के बाद वो खेतों में काम करने लगा, लेकिन उसका वहां भी मन नहीं लगता था.
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इसके बाद उसने कई काम किये पर किसी में भी उसका मन नहीं लगता था. अब उसे लगने लगा की उससे कुछ नहीं हो पायेगा और वो डिप्रेशन में चला गया. फिर वो आत्महत्या करने की सोंचने लगा.
एक दिन राजा ने अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया और आत्महत्या करनी की तयारी करने लगा. तभी उसके एक गुरूजी उससे मिलें आ गये. राजा अपने गुरु जी को बहुत मानता था, उसने अपने गुरूजी को सारी बात बताई. पहले तो गुरु जी ने कुछ न कहा, बाद में कहा की देखो बेटा सबसे पहले तुम अपने दिमाग से आत्महत्या का विचार निकल दो और ठन्डे दिमाग से सोंचो की ऐसा करने से तुम्हे क्या मिलेगा. इसके बाद राजा ने कहा, “मेरे पास अब कोई और चारा नहीं बचा है अब मैं क्या करूँ”
गुरु जी ने कहा की बेटा जब भी तुम अपने जीवन में कोई भी काम करो, तो उसे पुरे मन के साथ करो वरना न करो, तभी तुम्हे सफलता मिलेगी. राजा को गुरूजी की बात समझ में नहीं आई. गुरु जी ने उसे समझाते हुआ कहा कि जब तुम पढाई करते हो तो टीवी चला कर पढ़ते हो, कभी तुम गाना सुनते- सुनते पढ़ते हो तो कभी बे मन से पढ़ते हो. इस तरफ अगर तुम दिन भर भी पढ़े तो कुछ ही नही होगा. अगर तुम सिर्फ एक घंटा सिर्फ पढाई करोगे और कोई भी काम नहीं करोगे तभी तुम्हे सफलता मिलेगी.
राजा को गुरु जी की बात समझ में आ गई. इसके बाद राजा ने सिर्फ पढाई की और पढाई की. अब राजा अपनी कक्षा में अव्वल आता है. और जो भी काम करता है उसमें सफल होता है,
कहानी से सीख: जब भी कोई काम करो तो उसे पुरे मन के साथ करो, वरना न करो
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