चिंता इतनी कीजिये-some new short and funny jokes in hindi language
चिंता इतनी कीजिये ,की काम हो जाये —पर ,इतनी नहीं कि जिंदगी तमाम हो जाये , मालूम सबको है कि जिंदगी बेहाल है ,लोग फिर भी पूछते हैं कि और सुनाओ क्या हाल है। एक व्यक्ति अपने बीबी के अकारण क्रोधित होने से परेशान था। उसे कोई निराकरण नहीं सूझ रहा था। वह डॉक्टर के पास पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई। डॉक्टर ने सलाह दी -जब भी आपकी पत्नी गुस्से में हो आप एक गिलास पानी ले लें मुहं में पूरा पानी भर ले और उसे गुलगुलातें रहें। ताबततक करें जबतक आपकी पत्नी का गुस्सा शांत ना हो जाये उस व्यक्ति ने वैसा ही करना शुरू किया। कुछ दिनों बाद वह डॉक्टर के पास पहुंचा। वह अत्यंत प्रसन्न चित्त था। उसने डॉक्टर से पूछा -डॉक्टर साहेब ,एक गिलास पानी ने क्या कमाल कर दिया। सब कुछ ठीक हो गया। डॉक्टर ने कहा। यह पानी का कमाल नहीं था। यह सब आपके मुहं को बंद रखने के लिए मैंने युक्ति बताई थी। ना आप कुछ बोलेंगे और ना ही आपकी पत्नी रियेक्ट करेगी। मामला सब शांत।
[२] आज सुबह मेरे एक बंगाली दोस्त मेरे घर आया और आग्रहपूर्वक बोला -‘आज हमारा घर भोजन हाय ,आप सब लोग जरूर। वोईयेगा ‘ मैंने कहा-‘ठीक है ,मैं बीबी के साथ वहाँ ठीक ११ बजे पहुँच गया। .वहां ४-५ बंगाली लोग ढोलक ,तबला बज़ा रहे थे। संगीत का दौर चला। फिर मेरा दोस्त खड़ा हुआ और बोला-आज का भोजन ख़तम हुआ ,कोल फिर भोजन है,टाइम से आ जाना’ बीबी मुझे देख रही थी। भजन [भोजन] के चक्कर में बीबी ने शाम का भी भोजन नहीं दिया।
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संस्कार
अपना घर
स्वीकारोक्ति
नज़र और नसीब का अज़ब इतिफाक है कि नज़र में वो चीजें पसंद आती हैं जो नसीब में नहीं होता —नसीब में लिखी चीज़ नज़र नहीं आती चलने वाले दोनों पैरों को कितना फर्क होता है। एक आगे चलता है तो दूसरा पीछे-आगे वाले को गुरुर होता है तो पीछे वाले की तौहीन होता है। दोनों को मालूम नहीं कि पल भर में सब कुछ बदलेवाला है। जिंदगी में जो खोया उसका गम नहीं,जो पाया वह भी कुछ कम नहीं।
—जिंदगी एक एक ख्वाब है ,जो पास है वह लाजवाब है। माना की तुम्हारे दिल में कोई और है ,-तो हमें फेफड़ों में ही एडजस्ट कर लो ना। –एक सत्संग में एक संत प्रवचन कर रहे थे –भक्तों ,सुनो ,जो इस जन्म में नर है वो अगले जन्म में भी नर ही होगा ,और जो इस जन्म में नारी है वो अगले जन्म में भी नारी ही होगी। यह सुनकर एक बुढ़िया सत्संग से उठकर जाने लगी तो संत ने पूछा –
कहाँ जा रही हो ऐसे उठकर?जब अगले जन्म में भी रोटियां ही बनानी है तो भला सत्संग सुनकर क्या फायदा ?
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