दो कथाएँ-Two motivational stories in hindi language of the gods
दो कथाएँ
[१] सत्य कहाँ मिलेगा ?एक पुरानी कथा है। एक फ़क़ीर सत्य की खोज में निकला। उसने निकलने से पहले अपने गुरु से पूछा -सत्य कहाँ मिलेगा ?गुरु ने कहा -सत्य वहीँ मिलेगा जहां दुनिया का अंत होता है। फ़क़ीर दुनिया का अंत खोजने निकल पड़ा। बर्षों चलने और भटकने के बाद वह वही पहुँच गया जहां आखरी गांव समाप्त होता था। उसने वहाँ के लोगों से पूछा -दुनिया का अंत कितनी दूर है ? लोगों ने कहा -यह आखिरी गाँव है ,थोड़ी दूर पर एक पत्थर लगा है जिसपर लिखा है -दुनिया यही समाप्त होती है उधर मत जाओ। फ़क़ीर हंस पड़ा फ़क़ीर ने तो इसी की खोज में अपना पूरा जीवन गवाँ चुका था। वह आखिरी तख्ती के पास गया देखा -चारों तरफ शून्य था ,आगे कुछ भी नहीं था। वह डर गया वह लौट कर भगा। रुका तक नहीं। और गुरु के चरणों में गिर पड़ा। उसने सिर्फ पीछे की तरफ इशारा किया क्योंकि वह इतना डरा था कि वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। गुरु ने कहा -तुझसे भूल हो गई। तख्ती ठीक से देख तो लेता इस तरफ लिखा देखता -यहां दुनिया का अंत होता है ,यहां परमात्मा का प्रारम्भ होता है। एक सीमा पूरी होती है तो दूसरी सीमा शुरू होती है। परमात्मा तो निराकार है। शून्य में ही उस निराकार से मिल सकते हो।
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[२] नारियल की खेती -एक बार शिव -पार्वती यात्रा करते हुए लोमोलोमो द्धीप पहुंचे। इसी द्धीप पर तिमोदी नाम का एक अनाथ युवक रहता था। वह समुद्र से मछलियां पकड़कर और कांड -मूल -फल खाकर अपना पेट भरता था। एक बार एक धनि नाविक से उसका परिचय हुआ। अभिमानी धनि नाविक उसे पराजित करना चाहता था। उसने कहा -अपनी नाव के साथ इस द्धीप से बीतिलेबु द्धीप तक जो पहले पहुँच जाएगा उसे विजेता माना जाएगा। जो हारेगा उसे दस नावें और अपनी दोनों हाथ देनी होंगी। निष्चित दिन पर दोनों नाविकों ने विजय यात्रा प्रारम्भ की। समुद्र में आंधी आ गई। दुर्भाग्यवश तिमोदी का नाव पानी में डूब गया। आदमी विजयी होता है। अब वह बिना हाथों के मछलियां भी नहीं पकड़ सकता था ना ही कांड ,फल खा सकता था। भूख से तड़पते उसे चार दिन हो गए थे। वह रो रहा था। उसके रुदन को माता पार्वती ने सूना तब वह शिव भगवान् को वहाँ ले गई। शिव ने पूछा -वत्स तुम्हारे दोनों हाथ नहीं है और तुम विलाप क्यों कर रहे हो ? तिमोदी ने सारी घटना सुनाई। शिव ने अपनी माया की आंधी चलाकर बहुत से फल प्रगट कर दिए और जलधारा उत्पन्न कर दी। तिमोदी ने अपनी भावभक्ति प्रदर्शित की तिमोदी उस वृक्ष के नीचे शिव की भक्ति करते हुए समाधिस्त हो गया। उन्होंने तिमोदी को आदेश दिया कि तुम ऐसे फलों की खेती करो जिसमे जल और फल साथ ही उत्पन्न हो। तिमोदी ने नारियल के फल को बेचकर बहुत धन कमाया और विवाह कर सुखपूर्वक रहने लगा। कहते है कि शिव के तीन नेत्र है। और शिव की जटाएं की ही तरह ही नारियल में जटाएं होती है। गणेशजी केकड़े पर बैठकर तिमोदी के पास गए थे। इसी कारण केकड़ों की पीठ पर वे विराजमान हैं ,फिजी द्वीप वालों का ऐसा ही विश्वास है।
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