अनोखी कहानियां-Unique Stories two unique and different stories in hindi language
अनोखी कहानियां
[1]वादा
बेहद ठंडी रात एक अरबपति को एक बूढ़े गरीब आदमी दिखाई दिया। उन्होंने उस बूढ़े व्यक्ति से पूछा -‘क्या तुम्हे ठण्ड महसूस नहीं हो रही है ?तुमने तो कोई कोट भी नहीं पहना है। बूढ़े ने कहा -मेरे पास कोट नहीं है लेकिन मुझे इसकी आदत है। अरबपति को दया आई उसने कहा -‘तुम मेरे लिए रुको। मैं अभी घर जाता हूँ और तुम्हारे लिए एक कोट लेकर आता हूँ। बूढ़ा बहुत खुश हुआ। वह इंतज़ार करने लगा। अरबपति घर पहुंचा और वहाँ वह व्यस्त हो गया और बूढ़े से किये गए वादे को भूल गया। सुबह उन्हें उस बूढ़े की याद आई। वह कोट लिए उस बूढ़े के पास पहुंचा लेकिन ठण्ड के कारण उसे मृत पाया . उसने एक चिट्ठी लिख छोड़ी थी जिसमे लिखा था -‘जब मेरे पास गर्म कपडे नहीं थे तब मेरे पास ठण्ड से लड़ने की मानसिक शक्ति थी। लेकिन जब आपने वादा किया तो मैं आपके वादे के साथ जुड़ गया और इसने मेरी मानसिक शक्ति को ख़त्म कर दिया। अगर आप वादा नहीं निभा सकते तो कुछ भी वादा ना करें। यह आपके लिए कुछ नहीं हो सकता है पर किसी के लिए सब कुछ हो सकता है।
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[२] बन्दर का फैसला – एक समय की बात है एक आदमी एक जंगल से गुजर रहा था। उसने एक सांप को घने झाड़ियों के बीच फंसा हुआ पाया। सांप ने उस व्यक्ति से सहायता की गुहार लगाई तो दयावश उस व्यक्ति ने एक लकड़ी की सहायता से उस सांप को निकाला। बाहर आते ही उस सांप ने कहा – मैं तो तुम्हे डसूंगा . उस व्यक्ति ने कहा -क्यों ? मैंने तो तुम्हारे साथ अच्छा वर्ताव किया तुम्हे झाड़ियों से बाहर निकाला और तुम मुझे ही डासना चाहते हो ? सांप ने कहा हाँ भलाई का जवाब बुराई ही है। उस आदमी ने कहा -चलो किसी से फैसला कराते हैं। वे दोनों एक गाय के पास पहुंचे। सारी बात बताई। गाय न वाकई भलाई का जवाब बुराई ही है। जब तक मैं दूध देती थी तब तक मेरा मालिक मेरा बहुत ख्याल रखता था चारा पानी समय पर देता था मगर अब मैं बूढी हो गयी हूँ तो उसने मेरा ख्याल रखना छोड़ दिया है। सांप उसे डसने वाला ही था कि किसी अन्य से फैसला लेने का अनुरोध किया। वे दोनों एक गधे के पास पहुंचे। गधे ने फैसला वही सुनाया कहा -जब तक मेरे अंदर दम था तब तक मैं अपने मालिक के काम आता रहा लेकिन जैसे ही मैं बूढ़ा हुआ ,मालिक ने मुझे भगा दिया। सांप डसने ही वाला था तभी उस व्यक्ति ने मिन्नत की कि एक आखरी मौक़ा दो चूँकि दोनों फैसले सांप की हक़ में ही गया था लिहाज़ा सांप मान गया। इस बार दोनों एक बन्दर के पास पहुंचे। सारी बात बताई और फैसला करने को कहा। बन्दर ने कहा कि मुझे उस झाडी के पास ले चलो जहां से सांप को निकाला था। झाडी के अंदर सांप को फेंको और मेरे सामने उसे बाहर निकालो। तीनो उस झाडी के पास पहुंचे। आदमी ने सांप को झाडी में फ़ेंक दिया फिर उसे बाहर निकालने वाला ही था कि बन्दर ने मना कर दिया और नसीहत दी कि उसके साथ भलाई मत करो ये भलाई के काबिल नहीं है। बुरे लोगों के साथ भलाई करने का मतलब है अपने आप को संकट में डालना।
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